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रांची :  रांची के खेलगांव में लोकमंथन 2018 के तृतीय दिवस  में व्यवस्थावलोकन विषय के प्रथम सत्र में अपना अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए विकास भारतीBharat VSK 29 09 18 के संस्थापक सचिव पद्म श्री अशोक भगत जी ने कहा कि यहां जनता के नाम पर जनता को लोग बेवकूफ बनाते हैं। मैं झारखंड में काम करने आया, गांवों में जाता था, लोगों को समझाता था लोग स्वागत भी करते थे। इससे पादरी डरकर घबराया और उसने लोगों को मना किया कि इनका बात मत सुनो। मैंने जाकर कारण पूछा तो उसने कहा कि आप को मैं जानता नहीं, आप बाहर के हो।एक बार 6 महीने की हड़ताल थी और 6 महीने कोई सरकारी विद्यालय कोई सरकारी दफ्तर कोई अस्पताल नहीं चला और आश्चर्य होगा आपको कि जब मैंने गांवों में हड़ताल के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि वह नहीं जानते हड़ताल है या नहीं,  सरकारी कर्मचारियों से हमारा कोई मतलब नहीं है। तब मैंने नारा दिया-”कोर्ट कचहरी थाना पुलिस का बहिष्कार करो, गांव का शासन गांव में करो।” आप जानते हैं यह कहना बड़ा कठिन था। अगर मैं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का स्वयंसेवक नहीं होता तो मुझे उग्रवादी कहकर जेल में डाल दिया गया होता।अगर हम यह सोचते हैं कि सब कुछ सरकार ने कर देगी तो यह संभव नहीं है। एक नारा है- “लोकसभा ना विधानसभा, सबसे ऊंची ग्राम सभा।” कुछ लोगों ने इसका दुरुपयोग करकेपत्थलगड़ी जैसे प्रयोग किए।  लोक मंथन कार्यक्रम के तीसरे दिन व्यवस्थावलोकल के प्रथम सत्र में भारत के नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री श्री जयंत सिन्हा ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि मुझे हैरानी होती है, आश्चर्य होता है कि हमारे प्रशासनिक पदाधिकारियों को समझ नहीं है, क्षमता नहीं है कि हर सेकंड, हर मिनट, हर घंटा, हर दिन किसी उद्योगपति के लिए बहुत मूल्यवान होता है। आप निर्णय लेने में जितना विलंब करिएगा उतना घाटा उद्योगपति को और निजी क्षेत्र को होगा। हर उद्योगपति पैसे के आधार पर चलता है ब्याज की एक दर है। अगर आपने जाकर बहुत बड़ा उद्योग खड़ा किया है, उद्योग में हजार करोड़ आपने कर्ज लिया है तो हर दिन वो जो कर्ज है, बढ़ता चला जाता है। जब निर्णय नहीं लिया जाता है तो  उद्योगपतियों का व्यापार दिन प्रतिदिन घाटे में चलता चला जाता है। समय की कीमत है। इतना तो समझ लीजिए। अगर आप किसी को उसका जो वेतन है, भुगतान है समय पर नहीं देंगे Bharat VSK 29 09 18 तो उसका व्यापार कैसे चलेगा? फिर आप दिवालियापन में आ जाइएगा और ऐसा होने पर लोगों का रोजगार चला जाएगा। अगर हमारी व्यवस्था में जवाबदेही नहीं है तो उपलब्धि नहीं मिल पाएगी। जयंत सिंहा ने बताया कि रामगढ़ और हजारीबाग में स्कोर कार्ड की परंपरा शुरू की गई है जो जिला सर से लेकर प्रखंड स्तर तक लागू है। इसके माध्यम से प्रशासनिक कार्यों का  मूल्यांकन और उसके उपरांत सुधार की संभावनाओं को तलाशने का प्रयास किया जाता है जिससे प्रशासनिक कार्यकुशलता में वृद्धि हुई है।

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