बलिदानी सैनिक के परिवार का नए घर में गृह प्रवेश, वीर नारी के मार्ग में युवाओं ने बिछाई हथेलियां
रांची, 16 अगस्त 2019 : इंदौर (मध्य प्रदेश) के ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं ने उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया है, जिसकी जितनी प्रशंसा की जाए वह कम है। क्षेत्र के युवाओं ने जनसहयोग से 27 साल पहले देश पर बलिदान हुए सीमा सुरक्षा बल (BSF) के जवान के परिवार के लिए पक्का घर बनाकर दिया।
बलिदानी सैनिक का परिवार अभी तक एक झोंपड़ी में गुजर बसर कर रहा था। युवाओं को परिवार की स्थित के बारे में जानकारी मिली तो युवाओं ने अभियान शुरू कर 11 लाख रुपये की राशि एकत्रिल कर डाली। स्वतंत्रता दिवस के दिन परिवार का गृह प्रवेश हुआ और युवाओं ने परिवार के स्वागत के लिये मार्ग में अपनी हथेलियां बिछा दीं। क्षेत्र के युवाओं का पर्यास सराहनीय है ।
स्वतंत्रता दिवस पर सौंपी गई मकान की चाबी : स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर शहीद की पत्नी से राखी बंधवाकर उन्हें मकान की चाबी सौंपी गई। इसके साथ ही ध्वज वंदन भी किया गया।पीर पीपल्या गांव के मोहन सिंह बीएसएफ में थे। असम में पोस्टिंग के दौरान वे 31 दिसंबर 1992 को वीर गति को प्राप्त हो गए थे। उनका परिवार तभी से झोपड़ी में रह रहा था। उनकी हालत देख कुछ युवाओं ने ‘वन चेक-वन साइन’ नाम से अभियान शुरू किया। अभियान से जुड़े विशाल राठी ने बताया कि मकान बनाने के लिए 11 लाख रुपये इकट्ठा कर लिए।
स्वतंत्रता दिवस के दिन परिवार का नए घर में गृह प्रवेश हुआ। गृह प्रवेश के दौरान युवाओं ने वीर नारी के मार्ग में हथेलियां बिछा दीं, जिन पर चलकर वीर नारी ने नए घर में प्रवेश किया।
मोहन सिंह जब वीरगति को प्राप्त हुए थे, उस वक्त उनका तीन वर्ष का एक बेटा था और पत्नी राजू बाई चार माह की गर्भवती थीं। बाद में दूसरे बेटे का जन्म हुआ। पति के बलिदान के बाद दोनों बच्चों को पालने के लिए पत्नी ने मेहनत-मजदूरी की। झोपड़ी में ही परिवार गुजारा कर रहा था, जिसे टूटी-फूटी छत पर चद्दर लगाकर और बांस-बल्लियों के सहारे जैसे-तैसे खड़ा किया गया था। यह विडंबना ही कही जाएगी कि परिवार को किसी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल पाया।
परिवार के लिए दस लाख रुपये में घर तैयार हो गया। एक लाख रुपये मोहन सिंह की प्रतिमा के लिए रखे गए। प्रतिमा भी लगभग तैयार है। जिसे पीर पीपल्या मुख्य मार्ग पर लगाया जाएगा।