भारत रत्न के सच्चे हकदार नानाजी देशमुख
रांची, 26 जनवरी 2019 : ग्रामविकास के अग्रणी श्रध्येय नानाजी देशमुख का जन्म ११ अक्टूबर १९१६ को महाराष्ट्र के हिंगोली जिले मे कडोली नाम के कस्बे मे हुआ | उनका पूरा नाम चंडिकादास अमृतराव देशमुख था | विद्यार्थी जीवनमें ही संघ से संपर्क आया | 1934 में संघ संस्थापक डॉ. हेडगेवार जी के द्वारा तन-मन-धन पूर्वक आजन्म कार्यरत रहनेकी प्रतिज्ञा प्राप्त की | 1940 में संघके प्रचारक जीवन की शुरुआत हुई | 1947 मे वे राष्ट्रधर्म पत्रिका के प्रबंध निर्देशक बने | 1967 मे भारतीय जनसंघके राष्ट्रीय संघटन मंत्री बने | 1968 मे उन्होनें दीनदयाल शोध संस्थान की स्थापना की | १९७७ में जब जनता पार्टी की सरकार बनी, तो उन्हें मोरारजी मन्त्रिमण्डल में शामिल किया गया परन्तु उन्होंने यह कह कर मन्त्रीपद ठुकरा दिया की ६० वर्ष से अधिक आयु के लोग सरकार से बाहर रह कर समाज सेवा का कार्य करें, यह संकल्प लेकर वे जीवन पर्यन्त दीनदयाल शोध संस्थान के अन्तर्गत चलने वाले विविध प्रकल्पों के विस्तार हेतु कार्य करते रहे। 1991 मे मध्यप्रदेश के चित्रकुटमें देशका पहला ग्रामोदय विश्वविद्यालय प्रारंभ किया | अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने उन्हें 1999 मे राज्यसभा का सदस्य मनोनीत किया। अटलजी के कार्यकाल में ही भारत सरकार ने उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य व ग्रामीण स्वालम्बन के क्षेत्र में अनुकरणीय योगदान के लिये पद्म विभूषण भी प्रदान किया। सतत कार्यरत रहकर सबके सामना सामाजिक कार्य का आदर्श खडा किया |सतत कार्यमग्न नानाजीने कर्मभूमी चित्रकुटमें २७ फ़रवरी २०१० अंतिम सांस लिया और मरणोपरांत देहदान किया |
अपना संपूर्ण जीवन भारत माता के लिए समर्पित करनेवाले श्रध्येय नानाजी देशमुख जी को आज सर्वोच्च नागरी सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
|| भारत माता की जय ||