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सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत रामरेखा धाम के बाबा उमाकांत महाराज से मिलें  
रांची, 31 जुलाई  2019  (वि.सं. के.) :  झारखंड और छत्तीसगढ़ की सीमा पर स्थित सिमडेगा जिला अपने अद्भुत प्राकृतिक छटा के लिए तो प्रसिद्ध है ही वहाँ का धार्मिक स्थल रामरेखा धाम उस क्षेत्र का आस्था का एक बहुत बड़ा केंद्र है।
JHK VSK 31 07 19राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघ चालक डॉ मोहन भागवत जी बुधवार 31 जुलाई को सिमडेगा के श्रीरामरेखाधाम में आयोजित एक कार्यक्रम में भाग लिए। धाम के प्रमुख महंत उमाकांत जी महाराज के बुलावे पर पूज्य सरसंघचालक यहां आये हैं। ज्ञात हो कि रमरेखा धाम सिमडेगा और आसपास के इलाके में हिंदू धर्म की आस्था का बड़ा केंद्र है। इसकी पहचान सनातन संस्कृति के ध्वजवाहक के रूप में है। हिंदू धर्म और भारतीय संस्कृति का व्यापक पैमाने पर  प्रचार-प्रसार करने के साथ-साथ इस इलाके में बड़ी संख्या में होने वाले धर्मांतरण पर भी धाम के सकारात्मक सामाजिक कार्यों के कारण ने रोक लगी है। 
सिमडेगा अवस्थित श्रीरामरेखा धाम के महंत श्रीउमाकांत जी महाराज ने कहा कि वे कुछ माह पूर्व संघ प्रमुख को श्रीरामरेखाधाम में आने का निमंत्रण दिया था, जिसे उन्होंने स्वीकार किया था। आज  उनके साथ धाम के विकास के संबंध में व्यापक चर्चा हुई। गुफा मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद पूज्य सरसंघचालक धाम विकास समिति एवं हिंदू धर्म रक्षा समिति के दायित्वधारी कार्यकर्ताओं से मुलाकात कर धाम के माध्यम से क्षेत्र में चलने बाले कार्यों के बारे में जानें।
JHK VSK 31 07 19 लगभग 500 फीट ऊंची रामरेखा पहाड़ी पर स्थित रामरेखा धाम मंदिर लगभग 100 साल पुराना है। यहां पहाड़ पर बनी गुफा में एक तीर जैसा लंबा निशान है जिसे लोग रामरेखा के रूप में जानते हैं। संत जयराम प्रपन्नाचार्य (ब्रह्मïलीन) उर्फ रामरेखा बाबा यहां के प्रमुख महंत थे। उन्होंने सिमडेगा और आसपास के इलाके में हिंदू धर्म का काफी प्रचार-प्रसार किया। जगह-जगह मंदिर बनवाने से लेकर लोगों को सनातन संस्कृति और भारतीय संस्कारों के प्रति जागरूक करना, धर्म समितियों का गठन कर धार्मिक गतिविधियों की सामुदायिक जिम्मेदारी भी तय की। आज मंदिर के अंतर्गत दर्जनों धर्म समितियां काम कर रही हैं। 
ये समितियां लोगों को जागरूक करने से लेकर समय-समय पर भजन-कीर्तन, सत्संग व अन्य धार्मिक आयोजनों के लिए प्रेरित करती है। सनातन संस्कृति के प्रचार-प्रसार के अलावा कुरीतियां दूर करने और अंधविश्वास के खिलाफ लोगों को जागरूक करने में भी धाम सक्रिय रहा है। संत प्रपन्नाचार्य के निधन के बाद अब महंत उमाकांत महाराज यहां के प्रमुख महंत हैं। 
डॉ. मोहन भागवत सिमडेगा के रामरेखा धाम पहुंचने वाले आरएसएस के दूसरे सरसंघचालक होंगे। इनसे पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के पांचवें सरसंघचालक केसी सुदर्शन 6 अप्रैल 2001 को विराट हिंदू सम्मेलन में शामिल होने सिमडेगा आए थे।

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