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पलामू किला की पुरातात्विक धरोहर नष्ट होने के कगार पर : अंगद किशोर

रांची, 18 फरवरी : लातेहार जिला अंतर्गत ओरंगा नदी के किनारे पर स्थित दोनों पलामू किले नष्ट होने के कगार पर हैं, बावजूद इसके भारत और झारखंड VSK 18 02 20 2सरकार मौन साधे हुए है। बड़ी पीड़ा होती है,ढहते पलामू किलों को देखकर।राजा मेदिनी राय और उनके पूर्ववर्ती राजाओं ने ऊंचे पहाड़ों पर भव्य और विशाल किलों का निर्माण किया था।उन किलों को देखकर प्रतीत होता है कि पलामू का अतीत स्वर्णिम रहा होगा। बकौल पलामू गजेटियर यहां 52गली और 53 बाजार थे। राजाओं का शासन इस तरह प्रजानुकूल था कि घर घर में दूध की नदियां बहती थी। कोई ऐसा घर नहीं था, जहां गायें नहीं थीं।प्रजा धन- धान्य से परिपूर्ण थी। बुजुर्गो का सम्मान था। तात्पर्य यह कि आदिवासी-साम्राज्य का सूर्य यहां बुलंदी पर था।जिस राज्य को आदिवासियों-वनवासियों ने आबाद किया,उस राज्य की सरकार द्वारा उनकी धरोहरों की उपेक्षा किया जाना, बेहद शर्मनाक, निंदनीय और साजिशपूर्ण है।
पलामू किलों को दो नाम से जाना जाता है-एक पुराना किला और दूसरा नया किला।नया किला से तात्पर्य है कि पुराना किला निर्माण के सैकड़ों साल बाद नया किला का निर्माण हुआ होगा। नया किला की पाषाणी दीवारों पर उत्कीर्ण शिलालेख के अनुसार , इसका निर्माण 1634ई में राजा मेदिनी राय ने किया था।यह किला पुराना किला की तुलना में अधिक भव्य,ऊंचा और विशाल है। इसके भवन सैकड़ों साल के बाद आज भी महफूज है।ऊंची पहाड़ी पर अवस्थित यह किला भवनों और दरवाजों में कलात्मक सौंदर्य की दृष्टि से खूबसूरत और बेजोड़ है।महल का प्रस्तर निर्मित एक दरवाजा वाकई कलात्मक निर्माणों से पटा हुआ है। विडंबना यह है कि इस दरवाजे को आक्रांताओं ने बेरहमी से विध्वंस किया है।उस काल में यह दरवाजा कितना आकर्षक ,विशाल और बेजोड़ रहा होगा, कल्पना की जा सकती है। इसे संरक्षण की जरूरत है।
VSK 18 02 20 1पुराना किला के निर्माण किसने किया,यह अज्ञात है। इतिहासकारों में भी मतैक्य नहीं है। डॉ बी वीरोत्तम,बी पी केशरी, महावीर वर्मा और हवलदारी राम हलधर के अनुसार इसका निर्माण मार्हों अथवा रक्सेलों ने किया है , जबकि खुद लेखक अंगद किशोर का स्पष्ट मानना है कि पुराना पलामू किला का निर्माण खरवार राजाओं ने किया था।चेरो के पलामू में आने से चार सौ साल पहले यह क्षेत्र खरवारों के अधीनस्थ था ।1154ई के आसपास खरवार राजा प्रताप धवल देव की राजधानी जपला में थी। इसके पूर्व भी उनके पूर्वज साधव यहां काबिज थे। रोहतास किला पर पौने चार सौ वर्षों तक खरवार राजाओं ने शासन किया है। इसके साक्ष्य शिलालेखों और मुस्लिमकालीन दस्तावेजों में महफूज है। खरवार राजाओं ने अनेक किलों के निर्माण किये, जिसमें रोहतास किला,अगोरी किला, विजय गढ़, शेरगढ़ आदि उल्लेखनीय हैं। स्पष्ट है कि खरवार किला निर्माण में काफी आगे थे।
सोनघाटी पुरातत्व परिषद के अध्यक्ष अंगद किशोर और सचिव तापस डे ने आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया से तत्काल पलामू के दोनों किलों समेत अन्य धरोहरों को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने की मांग की है।

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