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धनबाद में किये जा रहे धर्मान्तरण को लेकर हिन्दू समुदाय सदमे में 

रांची, 01 जुलाई  : धनबाद, एक ओर पूरा विश्व कोरोना जैसी महामारी से लड़ने और इंसानियत को बचाने की फ़िराक में लगा हुआ है वहीँ कुछ धर्मांध लोग इस समय भी अपनी ओछी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं। 22 जून 2020 को झरिया के विस्थापितों के लिए झरिया बिहार के नाम से बसाए गए बेलगढिय़ा टाउनशिप में धर्म परिवर्तन के खिलाफ जमकर हंगामा हुआ। वहीँ पर एक नवनिर्मित भवन पर क्रॉस लगाये जाने के बाद स्थानीय लोगों ने विरोध करना शुरू कर दिया। लोगों का कहना था कि  जिस जगह पर चर्च बनाया जा रहा वह जमीन एक महली परिवार से घर बनाने के नाम ली गयी थी और अब उस पर चर्च का निर्माण किया जा रहा है। लोगों ने यह भी बताया की इस जगह पर सालों से धर्म परिवर्तन कर लगभग 2 दर्जन से अधिक परिवारों को इसाई बनाया जा चूका है।

जमीन मालिक मनोहर महली ने बताया की कुछ समय पहले बेलगढिय़ा में काफी समय से रह रहे इसाई धर्म प्रचारक अरुणाचल प्रदेश निवासी काइना पंसल और ओडिशा निवासी सुशांत प्रधान ने घर बनाने के नाम पर 3.5 डेसीमल जमीन ली थी मगर इन लोगों घर के बजाय चर्च बना डाला जो बिकुल गलत है। सूचना पाकर समर्थकों के साथ सिंदरी विधायक इंद्रजीत महतो, विहिप के जिला मंत्री रमेश पांडेय, भाजपा नेता मुकेश पांडेय समेत कई लोग वहां पहुंचे। देखते ही देखते एक हजार से भी अधिक लोगों की भीड़ जमा हो गई। स्थिति बिगड़ता देश स्थानीय प्रशासन ने उन धर्म प्रचारकों को अपने हिरासत में ले लिया भवन निर्माण पर धरा 144 लगाकर रोक लगा दी गयी।

सिंदरी विधायक इंद्रजीत महतो ने धर्मांतरण पर सरकार पर निशाना साधते हुए कहा की हेमंत सरकार बनते ही इसाई मिशनरी ज्यादा सक्रिय हो गए हैं। आखिर ये सरकार किसकी है झामुमो की या फिर मिशनरियों की। उन्होंने कहा कि राज्य में धर्मांतरण पर कड़े कानून बनाये गए हैं बावजूद इसके दो दर्जन से अधिक परिवारों का धर्मांतरण करा दिया गया। सरकार धर्मांतरण में लिप्त लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे अन्यथा भाजपा सड़क से सदन तक आंदोलन करेगी।

झारखण्ड के गृह सचिव एल ख्यांगते ने जिला प्रशासन से पूरी रिपोर्ट माँगा गया जिसमे जिला प्रशासन ने 24 जून 2020 को भेजे गए रिपोर्ट में बताया गया की बेलगढिय़ा में धर्मांतरण का कानून तोड़ा गया है। धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार अधिनियम- 2017 के लागू होने के बाद धर्म परिवर्तन करने और कराने वालों ने इसके लिए प्रशासन से पूर्वानुमति नहीं ली। रिपोर्ट में कहा गया कि धर्म प्रचारक काइना पंसल एवं सुशांत प्रधान लंबे समय से बेलगढिय़ा टाउनशिप में रह रहे थे। दोनों ईसाई धर्म का प्रचार कर रहे थे। इसमें यह भी कहा गया कि बेलगढिय़ा में 22 लोगों ने धर्म परिवर्तन किया है। सभी प्रोटेस्टेंट ईसाई बने हैं। इनमें आधा दर्जन से अधिक ऐसे लोग हैं जिन्होंने डेढ़ साल पहले धर्म बदला। उन सभी लोगों से पूछताछ की गई।

बीसीसीएल की निकली चर्च की विवादित जमीन : प्रशासनिक जाँच में यह भी पाया गया की बेलगढिय़ा में जिस विवादित जमीन पर चर्च का निर्माण किया गया वह जमीन बीसीसीएल की है। बीसीसीएल के लिए उसका अधिग्र्रहण हो चुका है। सरकारी दस्तावेज में अभी तक नामांतरण नहीं हुआ था। 

झारखण्ड के इसाई मिशनरी ने इस घटना पर दुसरे मिशनरी संगठन लगाया आरोप : कहा जाता आपका सच्चा मित्र वही होता है जो आपकी मुसीबतों में आपका साथ दे। मगर यहाँ तो कुछ और ही देखने को मिला। मामला बढ़ता देख झारखण्ड की इसाई मिशनरी भी बेलगढिय़ा मामले में अपना पल्ला झाड़ते दिखाई दिए। झारखंड में प्रोटेस्टेंट मत को मानने वाली ईसाई की बड़ी आबादी चर्च ऑफ नार्थ इंडिया (सीएनआइ) से जुड़ी है। इसका मुख्यालय रांची में है। इसी तरह धनबाद में रहने वाले कैथोलिक ईसाइयों की प्रभावी संस्था रोमन कैथोलिक केथेड्रल है, जिसका मुख्यालय जमशेदपुर में है। इन दोनों संगठनों के धनबाद में चर्च हैं, जो 100 साल से भी अधिक पुराने हैं। दोनों संगठनों के प्रतिनिधियों का दावा है कि बेलगढिय़ा में जो धर्मांतरण हुआ है, उससे झारखंड की मिशनरियों का कोई लेना-देना नहीं। बेलगढिय़ा चर्च के लोग तमिलनाडु के चर्च से जुड़े है। वहां के धर्मांतरण के पीछे तमिलनाडू के लोगों का हाथ है।
उक्त बातों से अंदाजा लगाया जा सकता की की धर्म परिवर्तन के नाम पर लोगों को किस तरीके से गुमराह किया जाता होगा। इन सब घटनाओं के बाद ऐसा लग रहा है जिन्हें भी इसाई बनाया जाता है उनकी भी अलग अलग संस्थाएं या फिर संगठन हैं जो अपने अपने टारगेट पूरा करने के चक्कर में लगे रहते हैं भले ही उन्हें अपने राज्य छोड़ कर कहीं और क्यों ना जाना पड़े । उदाहरण के तौर पर कोरोना महामारी के दौरान कई कंपनियां सेनेटाईजर बना रहीं है सब में अल्कोहल की मात्र तो एक है मगर सभी अपने प्रोडक्ट को सबसे अच्छा बताने की कोशिश में है। ठीक उसी प्रकार कंपनी कोई हो मगर हर कोई इसाई ही बना रहा लेकिन उनके अन्दर भी इतना मतभेद हो सकता हैं पहली बार देखा गया। आपको बताते चले की कई बार ये भी देखा गया है की संगठन द्वारा धर्म परिवर्तन के लिए लोगों को मार्केटिंग कंपनी की तरह टारगेट दिए जाते हैं और उसी अनुसार उन्हें उनका कमीशन प्राप्त होता है। इसी वजह से अकसर पैसे की लालच में या फिर जबरन धर्म परिवर्तन कराये जाने की ख़बरें सुनने को मिलती हैं।
बिहार के गया जिले के अंतर्गत बेला के पास वाले गाँव फतेहपुर में ऐसी ही घटना सुनने को आई थी की वहां के गरीब लोगों को पैसे की लालच में धर्म परिवर्तन करा दिया गया । मगर कुछ ही समय में उन्होंने वापस हिन्दू बनने का फैसला ले लिया, जब इसका कारण पता किया गया तो पता चला की जितने पैसे की बात उनलोगों से की गयी थी उतने पैसे उन्हें नहीं मिले। इन बातों से अंदाजा लगाया जा सकता है की धर्म परिवर्तन असलियत में एक व्यापर का रूप ले चुकी है और जहाँ व्यापर होगा वहां टारगेट भी होगा। झारखण्ड में वैसे भी कोरोना महामारी के बाद पुरे देश से गरीब मजदूरों को लाया गया है और वर्तमान में इन इसाई मिशनरी के निशाने पर यही मजदूर हैं जिनकी मजबूरी का फायदा आसानी से उठाया जा सकता है ।
बताते चलें की की झारखण्ड में धर्म परिवर्तन के खिलाफ कड़े कानून बनाये गए हैं मगर झारखण्ड में सरकार बदलते ही उन कानूनों की धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं । गरीब लोगों को धन के लालच में धर्म परविर्तन कराने का खेल नया नहीं है ये सदियों से चला आ रहा है और धनबाद धर्म परिवर्तन का शुरू से ही केंद्र रहा है।
झारखण्ड में जब भी कहीं कोई बड़ा अपराध होता है वहां मिशनरी के तार जुड़ ही जाते हैं। धर्म परिवर्तन को लेकर प्रसिद्ध इसाई मिशनरी और उनके अधिकारी कुछ ही सालों पहले झारखण्ड में सरकार के विरोध में किये गए पत्थलगड़ी के लिए आदिवासियों को भड़काने का आरोप लगा। उसके बाद रांची स्थित मिशनरी संस्था निर्मल ह्रदय पर नवजात बच्चों की तस्करी करते पाए गए। आदिवासी लड़कियों की तस्करी में मिशनरी की सहभागिता का भी खुलासा किया गया। साथ ही झारखण्ड में हो रही नक्सल गतिविधियों में इसाई मिशनरी संलिप्ता भी पाई गयी है। संक्षेप में कहा जाये तो हर अपराध के नेपथ्य में इन मिशनरी संस्थाओं का नाम आता रहा है।
सबसे अहम् सवाल तो ये उठता है की आखिर बिना किसी राजनैतिक संरक्षण के ये सब संभव है क्या?

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