समतामूलक और शोषणरहित समाज संघ का उद्देश्य : सरसंघचालक
रांची , २० फरवरी : हिन्दू समाज को संगठित करने के अलावा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का कोई अन्य कार्य नही है। हिंदुत्व के भाव से ही राष्ट्रीय भावना को प्रबल करते हुए एक समतामूलक और शोषणरहित समाज की स्थापना ही, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का एकमात्र उद्देश्य है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की नीतियां और कार्यपध्दति समाज के लिए अनुकरणीय है। विश्व मे फैलती कट्टरता विश्व शांति के लिए घातक है ,हिन्दू चिंतन में ही वैश्विक शांति का भाव भरा है।आज संघ के स्वयंसेवक अन्यान्य क्षेत्रों में कार्य कर रहे है स्वयंसेवक के नाते अपना सम्पर्क उनसे रहता है,उनसे मिलना होता है लेकिन इसका ये अर्थ नही की संघ सभी मामलों में हस्तक्षेप करता है, ऐसे लोग कहते है, इमरान खान भी कहते हैं , लेकिन स्वयंसेवक अपने उद्देश्य के प्रति संकल्पित होता है। उक्त बातें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ मोहन मधुकर भागवत जी ने रांची विश्वविद्यालय के निकट पदमश्री रामदयाल मुंडा फुटबॉल स्टेडियम मोरावादी में रांची महानगर के स्वयंसेवकों के एकत्रीकरण में कहा।
उन्होंने स्वयंसेवको को संबोधित करते हुए कहा कि -"एक राष्ट्र के नाते भारत जब जब बड़ा हुआ विश्व को भला हुआ है।
हमें अपने संस्कृति पर गर्व करते हुए देश को परम वैभव तक पहुंचाने के लिए कार्य करना ही होगा। भारत को विश्व गुरु बनाने के लिए सबलोगों को साथ लेकर चलने का अभिनव कार्य संघ अनवरत करता आ रहा है। अपना स्वयंसेवक समाज में एक आदर्श रूप में प्रस्तुत हो और ये आदर्श संघ की नित्य शाखा से ही संभव है। इसलिए हमें नित्य प्रति शाखा जानी चाहिए।
उन्होंने स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए कहा कि संघ की भाषणों से ही भारत विश्व गुरु बनेगा ऐसा नही है, शाखा की नित्य साधना को अपने व्यवहार में हमें उतारना होगा। यहां आपको कुछ मिलेगा ऐसा कुछ भी नही बल्कि आपको यहां सिर्फ देना ही देना होगा। इतना ही नही राष्ट्रनिर्माण के कार्य में ना ही कोई आपको धन्यवाद देगा ना कोई आभार प्रकट करेगा।यह भाव यदि हममे है तभी हम संघ से जुड़ पाएंगे।
उन्होंने कहा कि देश हमें देता है सब कुछ हम भी तो कुछ देना सीखे, इस गीत को हमे अपना व्यवहार में भी उतारिये। अपना स्वयंसेवक हमेशा समाजहित में आगे रहता है।संघ की शाखाओं पर नित्य प्रति जो सीख मिलती उससे अपने स्वयंसेवक में सेवा का एक भाव जगता है।समाज में कोई भी आपत्ति विपत्ति आये संघ के स्वयंसेवकों को दौड़ कर आगे आना ही चाहिये,अपना स्वयंसेवक किसी कार्य के लिए किसी की प्रतीक्षा नही बल्कि कार्य को अपना समझ उसे सार्थक अंजाम देता है। हमारा समाज सम्पूर्ण विश्व को कुटुंब मानता है, इस धरना को समाज में स्थापित करना है।यह धारणा सिर्फ और सिर्फ हिन्दू चिंतन में ही मिलता है। हमारी उपासना चाहे जो भी हो किन्तु जब हम दूसरे देश जाते हैं तो वहां हमे वह हिन्दू ही मानता हैं। उन्होंने आह्वान किया कि जिस तरह पुरुषों के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा चलती है उसी प्रकार माताएं बहनों के लिए राष्ट्र सेविका समिति की शाखाएं चलती है उससे हमे निःस्वार्थ भाव से जुड़ना चाहिए।
उद्बोधन से पूर्व गणवेशधारी स्वयंसेवको ने सरसंघचालक श्री मोहन भागवत के सामने पूर्ण गणवेश में शारीरिक योग, व्यायाम का प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में व्यायाम योग, दण्डयोग, आसन, नियुद्ध एवं दंड का प्रदर्शन एवं सुभाषित-गीत का प्रस्तुति भी किया गया। इस शारीरिक प्रदर्शन के लिए महानगर के स्वयंसेवक महीनों से तैयारी कर रहे थे। मंच पर पूज्य सरसंघचालक जी के साथ उत्तर-पूर्व क्षेत्र संघचालक मा सिद्धनाथ सिंह ,रांची महानगर संघचालक मा पवन मंत्री उपस्थित थे।