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सेवा भारत का स्वभाव है और स्वस्थ भारत हमारा लक्ष्य – भय्याजी जोशी

सेवा भारत का स्वभाव है और स्वस्थ भारत हमारा लक्ष्य – भय्याजी जोशीरांची, 23 अप्रैल पुणे (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य भय्याजी जोशी ने कहा कि दुनिया की तुलना में भारतीय चिकित्सा पद्धति अच्छी और सस्ती है. अब मठ, मंदिर, आश्रम संस्थान भी चिकित्सा के क्षेत्र में काम कर रहे हैं क्योंकि स्वस्थ भारत ही हमारा लक्ष्य है. इसलिए धार्मिक क्षेत्र में कार्यरत लोग भी स्वास्थ्य को प्राथमिकता देकर सामाजिक क्षेत्र के विकास के लिए आगे आ रहे हैं. रोग मुक्त भारत हमारा लक्ष्य है.

भय्याजी जोशी पुणे वैद्यकीय सेवा व संशोधन प्रतिष्ठान द्वारा बनाए जा रहे बालासाहब देवरस अस्पताल के भूमि पूजन समारोह के अवसर पर शनिवार सुबह बिबवेवाड़ी के अन्नाभाऊ साठे सभागृह में आयोजित कार्यक्रम में संबोधित कर रहे थे. पालक मंत्री चंद्रकांत पाटिल, सिरम संस्थान के सीईओ आदर पूनावाला, प्रांत संघचालक नानासाहेब जाधव, प्रतिष्ठान के कार्यकारी अध्यक्ष शिरीष देशपांडे मंच पर उपस्थित थे.

सेवा भारत का स्वभाव है और स्वस्थ भारत हमारा लक्ष्य – भय्याजी जोशीभय्याजी जोशी ने कहा कि चिकित्सा क्षेत्र में सेवा की बहुत आवश्यकता है. समाज के एक वर्ग को चिकित्सा सुविधा आसानी से मिल जाती है, लेकिन दूसरी ओर वनवासी, मजदूर वर्ग को इलाज नहीं मिल पाता है. मानसिक स्वास्थ्य का मुद्दा शारीरिक स्वास्थ्य से अधिक जटिल होता जा रहा है. व्यक्ति और समाज को मानसिक रूप से सशक्त होने की जरूरत है. दवा से शरीर को स्वस्थ रखा जा सकता है. लेकिन, आपको मानसिक स्वास्थ्य के लिए काम करना होगा.

तृतीय सरसंघचालक बालासाहब देवरस ने सेवा का मंत्र दिया था, उनके नाम से यह अस्पताल शुरू हो रहा है, यही अस्पताल की असली संपत्ति है. इस परियोजना के लिए काम करने वाली मंडलियों का भावनात्मक पक्ष बहुत मजबूत है और उनकी सेवा की भावना बहुत मजबूत है. बालासाहब देवरस जी का नाम रुग्णालय को देने से जिम्मेदारी बढ़ गई है.

मनसुख मंडाविया ने ऑडियो-विजुअल के माध्यम से कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ दरिद्री नारायण और दरिद्री देवो भव के मंत्रों से काम कर रहा है. संघ के कार्यकर्ता सेवा में निरन्तर आगे रहते हैं. वे किसी भी आपदा में सेवा के लिए हाजिर रहते हैं. आरोग्य भारती की विभिन्न परियोजनाओं ने कई लोगों की जान बचाई है. कॉरपोरेट अस्पतालों में यह सेवा भावना नहीं दिखेगी.

चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि कोविड के मौके पर हमें अहसास हुआ कि हम स्वास्थ्य के क्षेत्र में कितने पीछे हैं. स्वास्थ्य के क्षेत्र में हमारे पास उपकरण, दवा, शोध और कुशल जनशक्ति नहीं थी. अब इसे बढ़ाया जाना शुरू किया गया है.

आदर पूनावाला ने कहा, स्वास्थ्य आम लोगों का प्राथमिक अधिकार है. सीरम की स्थापना के बाद से हम आम आदमी के दर्द को कम करने के लिए काम कर रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत का नारा देकर स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक बड़ी क्रांति की शुरुआत की है.

गोविंददेव गिरि जी महाराज ने श्रव्य-दृश्य माध्यम से कहा, डॉ. हेडगेवार ने संगठन का मंत्र दिया. श्री गुरुजी ने संस्कार का मंत्र दिया और बालासाहब देवरस ने सेवा का मंत्र दिया. पीड़ित लोगों की सेवा ही राष्ट्र सेवा का साधन है. सेवा ही जीवन की सार्थकता है और समाज का ऋण चुकाने का अर्थ है, जीवन को सुखी बनाना है.

 


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